शुक्रवार, 20 जून 2025

विद्यार्थी जीवन में योग का महत्व

 

विद्यार्थी जीवन में योग का महत्व

विद्यार्थी जीवन मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और आधारभूत चरण होता है। यह समय न केवल शिक्षा अर्जित करने का होता है, बल्कि चरित्र निर्माण, अनुशासन, आत्मविश्वास और मानसिक संतुलन को विकसित करने का भी होता है। इस महत्वपूर्ण समय में योग एक अमूल्य साधन के रूप में कार्य करता है।

योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह मन, शरीर और आत्मा को संतुलन में रखने की एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है। विद्यार्थी जीवन में योग करने से एकाग्रता बढ़ती है, जिससे पढ़ाई में मन लगता है और स्मरणशक्ति में वृद्धि होती है। परीक्षा का तनाव, प्रतिस्पर्धा का दबाव और भावनात्मक असंतुलन जैसे समस्याओं से निपटने में योग अत्यंत सहायक सिद्ध होता है।

प्रत्येक दिन कुछ समय योगासन, प्राणायाम और ध्यान के लिए निकालना विद्यार्थियों के लिए लाभकारी होता है। प्राणायाम से फेफड़े मजबूत होते हैं, मानसिक तनाव कम होता है और शरीर ऊर्जावान बना रहता है। ध्यान से मन की चंचलता कम होती है, जिससे विचारों में स्पष्टता आती है।

आज के तकनीकी युग में जहाँ मोबाइल और इंटरनेट ने बच्चों का ध्यान भटका दिया है, वहाँ योग उन्हें आत्म-अनुशासन और आत्मनियंत्रण की ओर ले जाता है। इसके अलावा योग विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों, सहनशीलता, सह-अस्तित्व और आंतरिक शांति की शिक्षा भी देता है।

इस प्रकार, विद्यार्थी जीवन में योग का समावेश न केवल शारीरिक और मानसिक विकास करता है, बल्कि उन्हें एक स्वस्थ, संतुलित और जागरूक नागरिक बनाने की दिशा में भी प्रेरित करता है। योग ही एक ऐसा साधन है जो विद्यार्थियों को सफलता की ओर ले जाने वाले मार्ग को सरल और सशक्त बनाता है।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

 

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस हर वर्ष 21 जून को मनाया जाता है। यह दिन योग की महत्ता को समझाने, जन-जन तक इसके लाभ पहुँचाने और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाया जाता है। वर्ष 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रस्ताव को स्वीकार कर 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया। यह दिन इसलिए भी विशेष है क्योंकि 21 जून उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है, जो ऊर्जा और प्रकाश का प्रतीक है।

योग भारत की प्राचीन परंपरा है जो शारीरिक, मानसिक और आत्मिक विकास का संतुलन बनाए रखता है। नियमित योगाभ्यास से तन और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं। यह तनाव, चिंता और कई शारीरिक बीमारियों से बचाता है। योगासन, प्राणायाम और ध्यान शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं और आत्मबल को मजबूत करते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं में योग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। देश-विदेश में लाखों लोग एक साथ योगाभ्यास कर इस दिवस को मनाते हैं। यह दिवस सभी को यह संदेश देता है कि योग किसी धर्म, जाति या देश का सीमित विचार नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए एक वरदान है।

इस प्रकार, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस हमें न केवल योग अपनाने की प्रेरणा देता है, बल्कि एक स्वस्थ, शांतिपूर्ण और एकजुट समाज की दिशा में कदम बढ़ाने का मार्ग भी दिखाता है।

बुधवार, 18 जून 2025

कहानी: बबलू की ईमानदारी की टोकरी

 

कहानी: बबलू की ईमानदारी की टोकरी

बबलू एक छोटा सा प्यारा लड़का था, जो हर दिन अपने पिताजी के साथ सब्ज़ी मंडी में मदद करता था। उसके पास एक पुरानी टोकरी थी, जिसमें वह सब्ज़ियाँ ग्राहकों को देता था। बबलू बहुत ईमानदार और मेहनती था, इसलिए सब लोग उसे पसंद करते थे।

एक दिन एक बूढ़े दादाजी ने उससे सब्ज़ी ली और गलती से उसे 500 रुपये का नोट दे दिया, जबकि सब्ज़ी की कीमत सिर्फ 50 रुपये थी। दादाजी जल्दी में चले गए और बबलू ने नोट देखा। उसके मन में थोड़ी देर के लिए लालच आया, लेकिन फिर उसने टोकरी में नोट को अलग रखा और सोच लिया – “ईमानदारी सबसे बड़ी दौलत है।”

थोड़ी देर में दादाजी घबराते हुए वापस आए और बोले, “बेटा, मेरा बाकी पैसा तो रह गया।”
बबलू ने मुस्कराते हुए वह 450 रुपये लौटा दिए। दादाजी की आँखों में आँसू आ गए और उन्होंने बबलू को आशीर्वाद देते हुए कहा, “तू तो सच में बहुत नेक और सच्चा बच्चा है।”

इस घटना के बाद बबलू की ईमानदारी की चर्चा पूरे बाजार में फैल गई। लोग उससे और भी ज्यादा सब्ज़ियाँ खरीदने लगे।

सीख:
बबलू की कहानी हमें सिखाती है कि सच्चाई और ईमानदारी हमेशा जीतती है। चाहे हालात जैसे भी हों, अगर दिल साफ़ हो, तो लोग भी आपका सम्मान करते हैं।

कहानी: "चिंटू की एक रूपया वाली गुल्लक"

 

कहानी: "चिंटू की एक रूपया वाली गुल्लक"

चिंटू एक नन्हा सा बच्चा था, जो गाँव के सरकारी स्कूल में पहली कक्षा में पढ़ता था। उसका सपना था – अपनी माँ को एक बड़ी लाल साड़ी दिलाने का। लेकिन चिंटू जानता था कि उसके पास पैसे नहीं हैं। फिर भी उसने हार नहीं मानी।

एक दिन उसके पिता ने उसे एक पुरानी गुल्लक दी और कहा, "हर दिन एक रूपया इसमें डालना, देखना सपना जरूर पूरा होगा।" चिंटू ने उसी दिन से एक-एक रूपया जमा करना शुरू कर दिया। कभी बर्तन धोकर, कभी चाय लाकर, वह ईमानदारी से पैसे जोड़ता रहा।

साल भर में उसकी गुल्लक भर गई। जब उसने उसे फोड़ा, तो उसमें पूरे 365 रुपये निकले। वह दौड़कर बाज़ार गया और अपनी माँ के लिए एक सुंदर लाल साड़ी खरीद लाया।

जब उसकी माँ ने वह साड़ी देखी, उनकी आँखों में आँसू आ गए। उन्होंने चिंटू को गले लगा लिया और कहा, "तू तो मेरा सबसे बड़ा खज़ाना है!"

इस कहानी से बच्चों को यह सिखने को मिलता है कि
👉 सपने बड़े हों या छोटे, अगर हम धैर्य, मेहनत और ईमानदारी से प्रयास करें, तो वे जरूर पूरे होते हैं।
और सबसे जरूरी – माँ-बाप को खुश करना सबसे बड़ा उपहार होता है।

कहानी: "गुड्डू और योग का जादू"

 

कहानी: "गुड्डू और योग का जादू"

गुड्डू एक 12 साल का लड़का था, जो शहर के एक स्कूल में पढ़ता था। वह दिनभर मोबाइल पर गेम खेलता, देर रात तक जागता और सुबह देर से उठता। उसकी यह आदतें धीरे-धीरे उसकी सेहत पर असर डालने लगीं। वह जल्दी थक जाता, पढ़ाई में मन नहीं लगता और हमेशा चिड़चिड़ा रहता।

एक दिन स्कूल में एक योग शिविर लगा। गुड्डू ने अनमने मन से उसमें भाग लिया। वहाँ योगाचार्य ने उसे बताया कि योग सिर्फ शरीर को नहीं, मन को भी मजबूत बनाता है। उन्होंने बताया कि रोज़ाना योग करने से एकाग्रता, आत्मविश्वास और ऊर्जा बढ़ती है।

गुड्डू ने ठान लिया कि वह हर दिन सुबह आधे घंटे योग करेगा। शुरुआत में कठिनाई हुई, लेकिन धीरे-धीरे उसे फर्क महसूस होने लगा। उसकी नींद सुधर गई, पढ़ाई में मन लगने लगा और वह पहले से ज्यादा खुश और शांत महसूस करने लगा।

अब वह न केवल खुद योग करता है, बल्कि अपने दोस्तों को भी इसके लिए प्रेरित करता है। स्कूल में उसने “योग क्लब” भी शुरू किया जहाँ बच्चे मिलकर योगाभ्यास करते हैं।

गुड्डू की कहानी हमें यह सिखाती है कि योग केवल एक व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक कला है। यह तन, मन और आत्मा – तीनों को संतुलित करता है। योग अपनाकर हम न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हैं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी मज़बूत बनते हैं।

कहानी: "छोटू का सपना"

 

कहानी: "छोटू का सपना"

छोटू एक छोटे से गाँव में रहने वाला गरीब बच्चा था। उसका परिवार इतना गरीब था कि दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से मिलती थी। लेकिन छोटू के पास एक चीज़ थी – सपना। वह पढ़-लिखकर कुछ बड़ा बनना चाहता था।

स्कूल की फीस भरने के लिए वह दिन में खेतों में काम करता और रात को पढ़ाई करता। उसके पास न किताबें थीं, न बिजली, लेकिन वह कभी हार नहीं मानता। गाँव के टीचर ने उसकी मेहनत देखकर उसे पुरानी किताबें दीं और पढ़ने में मदद की।

कई बार भूखा सोना पड़ा, लेकिन छोटू ने हार नहीं मानी। सालों की मेहनत और लगन से उसने स्कॉलरशिप पाई और शहर के अच्छे कॉलेज में दाखिला लिया। वहाँ से पढ़कर वह एक IAS अधिकारी बन गया और अपने गाँव में स्कूल, अस्पताल और सड़कों का निर्माण कराया।

आज छोटू हजारों बच्चों के लिए प्रेरणा बन चुका है। उसकी कहानी बताती है कि सपने पूरे करने के लिए पैसे नहीं, बल्कि मेहनत, ईमानदारी और लगन चाहिए।

संघर्ष से मत डरो, वहीं से रास्ता निकलता है।

रविवार, 15 जून 2025

डॉ. राम मदने: एक सेवाभावी वैद्यकीय व्यक्तिमत्त्व

 

डॉ. राम मदने: एक सेवाभावी वैद्यकीय व्यक्तिमत्त्व

आज डॉ. राम मदने यांचा वाढदिवस! गेल्या १८ वर्षांपासून नांदेड शहरात वैद्यकीय सेवेत अखंड योगदान देणाऱ्या या समर्पित आणि सहृदय डॉक्टराला आज शुभेच्छा देताना शब्द अपुरे वाटतात. एम.डी. मेडिसिन या शाखेतील त्यांनी मिळवलेला गाढा अभ्यास आणि समाजप्रती असलेली निष्ठा, त्यांचं व्यक्तिमत्त्व अधिकच तेजस्वी बनवते.



डॉ. राम मदने हे केवळ एक यशस्वी वैद्यकीय व्यावसायिक नाहीत, तर एक संवेदनशील माणूस आहेत. त्यांच्या दवाखान्यात येणाऱ्या प्रत्येक रुग्णाला केवळ औषधोपचारच मिळत नाही, तर माणुसकीची आणि मानसिक आधाराची ऊबसुद्धा मिळते. रुग्णाशी माणूस म्हणून वागणं, त्यांची व्यथा समजून घेणं आणि शक्य तेवढं सहकार्य करणं, ही त्यांची कार्यपद्धती आहे.

"सेवा हीच खरी पूजा" या तत्त्वावर विश्वास ठेवणारे डॉ. मदने अनेक गरजू रुग्णांना मोफत सल्ला, सवलतीने उपचार, आणि अनेक वेळा औषधोपचारही देतात. विशेषतः ग्रामीण भागातील लोकांसाठी ते एक आधारस्तंभ ठरले आहेत. कोविड-१९ महामारीच्या काळातही त्यांनी स्वतःच्या आरोग्याची पर्वा न करता, दिवस रात्र रुग्णसेवेत आपली ऊर्जा झोकून दिली. त्यांची सेवा आणि समर्पण पाहून अनेक तरुण डॉक्टर्स आज प्रेरणा घेत आहेत.

ते केवळ वैद्यकीय सेवा देणारे नाहीत, तर सामाजिक कार्यामध्येही त्यांचा सक्रिय सहभाग असतो. आरोग्य शिबिरं, जनजागृती मोहीमा, आणि आरोग्य शिक्षण यामार्फत ते समाजाला निरोगी जीवनशैलीचा संदेश देत असतात. त्यांच्या बोलण्यात सौम्यता आहे, चेहऱ्यावर नेहमी स्मितहास्य असतं, आणि कामात नेमकेपणा असतो – ही त्यांच्या यशामागची मुख्य सूत्रं आहेत.

डॉ. मदने यांचा व्यावसायिक पराक्रम जितका मोठा आहे, तितकीच मोठी त्यांची माणुसकीची झेप आहे. त्यांनी वैद्यकीय व्यवसायाला केवळ आर्थिक दृष्टिकोनाने न पाहता, एक सामाजिक जबाबदारी म्हणून घेतलं आहे. त्यांचं जीवन म्हणजे एक प्रेरणादायी अध्याय आहे, ज्यातून शिकण्यासारखं खूप काही आहे.

आज त्यांच्या वाढदिवसानिमित्त त्यांच्या कार्याची आणि सेवाभावाची आठवण करून देणं हे आपल्या सर्वांचं कर्तव्य आहे. अशा या महान व्यक्तिमत्त्वास हार्दिक शुभेच्छा! त्यांच्या पुढील आयुष्यात आरोग्य, यश, आणि समाधानी सेवा लाभो हीच प्रार्थना.

वाढदिवसाच्या मनःपूर्वक शुभेच्छा, डॉ. राम मदने सर!
आपणास longevity आणि समाजसेवेसाठी अजून मोठं आयुष्य लाभो हीच सदिच्छा!

विद्यार्थी जीवन में योग का महत्व

  विद्यार्थी जीवन में योग का महत्व विद्यार्थी जीवन मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और आधारभूत चरण होता है। यह समय न केवल शिक्षा अर्जित करने का...