बुधवार, 30 अगस्त 2023

मेरा प्रिय खेल -अनुच्छेद लेखन

 

मेरा प्रिय खेल -अनुच्छेद लेखन 

मेरा प्रिय खेल बैडमिंटन है। यह खेल खेलने में मजेदार और स्वास्थ्यपूरक होता है। इसमें दो खिलाड़ियों के बीच एक ऊंची नेट होता है और एक छोटी सी बॉल का उपयोग होता है। खेल का उद्देश्य बॉल को नेट के ऊपर से दूसरी ओर पहुँचाना होता है, जिससे विरोधी खिलाड़ी उसे सही से वापस कर पाए।


बैडमिंटन खेलने से हमारी शारीरिक क्षमता बढ़ती है और हमारी तंदुरुस्ती बनी रहती है। इसके साथ ही हमारी आंतरिक स्थिरता भी मजबूत होती है। मैं रोज़ बैडमिंटन खेलकर अपने दोस्तों के साथ मिलकर मजा करता हूँ और इससे मेरे दिन की थकान भी दूर हो जाती है।


यह खेल मुझे टीम का हिस्सा बनने का अवसर भी देता है और मुझे सामर्थ्य महसूस होता है कि मैं अपने कौशल को सुधार सकता हूँ। बैडमिंटन खेलने से मेरा मन भी खुश रहता है और मैं स्वस्थ जीवनशैली की दिशा में कदम बढ़ाता हूँ।

समय का महत्व

 समय का महत्व


समय एक अद्वितीय संसाधन है जो हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमारे जीवन को आगे बढ़ने, उन्नति करने और सफलता प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। समय का सही रूप से प्रबंधन करना जीवन में व्यक्ति को अवसरों का सही तरीके से लाभ उठाने में मदद करता है।


समय की महत्वपूर्णता का अहसास करने के लिए हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि समय अपनी अनमोलता के कारण एक बार गवाया गया, वापस नहीं आ सकता। जब हम समय को व्यर्थ बिताते हैं, तो हम उस समय की कई महत्वपूर्ण संभावनाओं का नुकसान करते हैं जो हमारे सामान्य जीवन को बेहतर बना सकते थे।


समय का सदुपयोग करने से हम स्वयं को स्वस्थ, ध्यानयोग्य और सफल बना सकते हैं। यह हमें नियमितता और आत्म-नियंत्रण सिखाता है जो जीवन में महत्वपूर्ण हैं। समय का प्रबंधन करने से हम अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होते हैं और साथ ही सामाजिक, पेशेवर और व्यक्तिगत पहलुओं में सफलता प्राप्त करते हैं।


इस प्रकार, समय का सही रूप से प्रबंधन करना हमारे जीवन को सफलता की ओर एक कदम आगे बढ़ने में मदद करता है।

**बढ़ती जनसंख्या पर अनुच्छेद**

 **बढ़ती जनसंख्या पर अनुच्छेद**


बढ़ती जनसंख्या आज के समय में एक महत्वपूर्ण समस्या बन चुकी है। यह समस्या न केवल एक देश के विकास को रुकावट पहुँचाती है, बल्कि विश्वभर में भी एक बड़ी समस्या बन चुकी है। इसके कारणों और प्रभावों को समझने के लिए हमें इसे गहराई से विचार करना आवश्यक है।


बढ़ती जनसंख्या के कारणों में प्रमुख हैं जन्मदर और मृत्युदर के अंतर में कमी। विज्ञान और तकनीकी की तेजी से बढ़ती उपलब्धियाँ निरोगता और आयुर्वेदिक उपचारों के कारण जन्मदर में वृद्धि हो रही है। इसके साथ ही, लोगों के जीवन शैली में सुधार के कारण मृत्युदर में भी कमी आई है।


बढ़ती जनसंख्या के प्रभावों की बात करें तो यह समस्या विकासशील देशों के साथ-साथ विकासहीन देशों को भी प्रभावित करती है। विकासशील देशों में इसके प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए सरकारें और संबंधित दल विभिन्न योजनाएँ और कदम अपनाते हैं। विकासहीन देशों में बढ़ती जनसंख्या के कारण आर्थिक तंगी, बेरोजगारी, जीवनायु में कमी, और सामाजिक समस्याएँ बढ़ जाती हैं।


इस समस्या का समाधान खोजने के लिए हमें उचित जनसंख्या नियंत्रण के उपायों पर विचार करने की आवश्यकता है। सशक्त जनसंख्या नियंत्रण योजनाएँ, शिक्षा के प्रसार, महिलाओं की सशक्तिकरण, और उचित स्वास्थ्य सेवाएँ इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।


आखिरकार, बढ़ती जनसंख्या एक गंभीर समस्या है जिसका समाधान समाज, सरकार, और सभी व्यक्तियों के सहयोग से ही संभव है। आपसी समझदारी, सुशासन और जागरूकता के साथ हम इस समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते हैं और हमारे समाज को स्वस्थ, सुरक्षित और समृद्ध बना सकते हैं।

**मेरा विद्यालय, मेरा गौरव**

 **मेरा विद्यालय, मेरा गौरव**


मेरा विद्यालय मेरे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यहाँ पर मैंने न केवल शिक्षा प्राप्त की है, बल्कि जीवन के मूल्यों को सीखा है और उन्हें अपनाया है। विद्यालय में दिन-रात किए गए अनुशासनपूर्ण प्रयासों के बावजूद, मेरा विद्यालय मेरे जीवन की सबसे यादगार यात्रा है।


मेरे विद्यालय का परिसर सुंदर और हरित है। यहाँ के वृक्षों की हरियाली, फूलों की मिस्ती, और सफाई की नीतियों के साथ हमें एक शांतिपूर्ण और स्वागतमयी वातावरण प्रदान करता है।


विद्यालय के शिक्षक न केवल पढ़ाने-लिखाने में हमें मदद करते हैं, बल्कि वे शिक्षा के क्षेत्र में अनन्त ज्ञान और अनुभव साझा करके हमें नैतिक मूल्यों की महत्वपूर्णता को सिखाते हैं।


मेरे विद्यालय में सभी छात्र-छात्राएँ एक परिवार की भावना के साथ मिलकर पढ़ाई करती हैं। हमारे विद्यालय में बातचीत का माहौल खास होता है, जो हमें अपने साथियों के साथ आत्मविश्वास और सहयोग की भावना का अनुभव करता है।


मेरा विद्यालय मेरे लिए गर्व की बात है, क्योंकि यहाँ मुझे अच्छे शिक्षक मिले हैं, मौका मिलता है कि मैं विभिन्न क्षेत्रों में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर सकूं, और मैं यहाँ के उद्योगशील और उत्कृष्ट छात्रों के साथ जुड़कर नए दोस्त बना सकूं।


मेरा विद्यालय मेरे लिए गर्व की बात है, क्योंकि यहाँ मुझे विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, खेलकूद, कला, और विज्ञान में हिस्सा लेने का अवसर मिलता है।


अच्छी शिक्षा के साथ-साथ, मेरे विद्यालय ने मुझे अच्छे मानवीय मूल्यों की महत्वपूर्णता को भी सिखाया है। मेरा विद्यालय मेरे जीवन का एक ऐसा महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसने मुझे न केवल शिक्षा, बल्कि सच्चे मानवीय मूल्यों की महत्वपूर्णता को समझाया है। इसके लिए, मेरे विद्यालय को मेरा गौरव मानना स्वाभाविक है।

**लघुकथा लेखन के नियम:**

 **लघुकथा लेखन के नियम:**


1. **संक्षिप्तता:** लघुकथा को संक्षिप्त और सार्थक रखें। यह आपकी कथा को प्रभावी बनाएगा और पाठकों की ध्यान खींचेगा।


2. **संघटन:** लघुकथा को संघटित रखें ताकि पाठक बिना किसी परेशानी के उसे पढ़ सकें। विभिन्न प्रकार के घटनाक्रमों की सही क्रमबद्धता बनाएं।


3. **अद्भुत आरंभ:** लघुकथा की शुरुआत को अद्भुत और रुचिकर बनाने के लिए एक रोचक घटना, प्रस्तावना या सवाल का उपयोग करें।


4. **पात्रों का विकास:** लघुकथा के पात्रों को विकसित करें। उनकी व्यक्तित्व, भावनाएं और परिप्रेक्ष्य को समझाएं।


5. **परिप्रेक्ष्य संवाद:** वाक्यों और संवादों के माध्यम से परिप्रेक्ष्य को स्थापित करें, जिससे पाठक को कथा का सार समझ में आ सके।


6. **परिस्थितियों का वर्णन:** कथा के परिप्रेक्ष्य को और भी दिलचस्प बनाने के लिए परिस्थितियों, स्थल, और समय का विवरण करें।


7. **परिस्थितियों का वर्णन:** कथा के परिप्रेक्ष्य को और भी दिलचस्प बनाने के लिए परिस्थितियों, स्थल, और समय का विवरण करें।


8. **उचित समापन:** लघुकथा का समापन उचित और प्रभावी तरीके से करें। किसी सन्देह को दूर करने या पाठकों को सोचने पर मजबूर करने का प्रयास करें।


**लघुकथा के उदाहरण:**


*उदाहरण 1:*

**शीर्षक:** "सफलता का सूत्र"


**पाठ:** एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में रामु नामक लड़का रहता था। उसका सपना था कि वह बड़ा आदमी बने। उसने कई कठिनाईयों का सामना किया, परंतु उसकी उम्मीदें अगर छोटी भी थी तो उसने कभी हार नहीं मानी। वह अध्ययन में लगा रहा, संघर्षों का सामना करता रहा और अंत में उसने अपने सपनों को पूरा किया। आज वह समृद्धि और सफलता के साथ जी रहा है, और उसकी कहानी हमें यह सिख देती है कि मेहनत और संघर्ष से ही सफलता की पर्याप्त स्रोत होती है।


*उदाहरण 2:*

**शीर्षक:** "स्नेह का महत्व"


**पाठ:** राजु और रिया बहन-भाई के रिश्ते से अच्छे से जानते थे कि स्नेह में कितना महत्व होता है। एक दिन, राजु को एक प्रतियोगिता में हिस्सा लेना था, परंतु वह तैयार नहीं था। उसने रिया से सहायता मांगी, लेकिन वह अपने काम में व्यस्त थी। फिर भी, रिया ने अपने काम को छोड़कर राजु की सहायता की और वह समय पर प्रतियोगिता में भाग लिया। यह घटना उन्हें यह सिखाती है कि सच्चे स्नेह में आपसी सहयोग और समर्पण होता है, जो अनमोल हैं।


**नोट:** यह उदाहरण सिर्फ संवादना हेतु दिए गए हैं, आपके विशिष्ट विषय और आवश्यकताओं के आधार पर अपनी लघुकथा तैयार करें।

**विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व:**

 **विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व:**


विद्यार्थी जीवन एक महत्वपूर्ण दौर होता है जो हमें न सिर्फ शिक्षा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि अपने भविष्य की नींव भी रखता है। इस दौरान अनुशासन का महत्व अत्यधिक होता है, क्योंकि यह विद्यार्थियों को एक मार्गदर्शक संरचना प्रदान करता है जिसके माध्यम से वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।


**विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का महत्व:**


1. **समय प्रबंधन:** अनुशासन समय का सही तरीके से प्रबंधन करने में मदद करता है। यह विद्यार्थियों को उनकी प्राथमिकताओं के आधार पर काम करने में मदद करता है और उन्हें समय का उपयोग करने की कला सिखाता है।


2. **नियमितता:** अनुशासन सच्चे और नियमित अभ्यास की ओर दिलाता है। विद्यार्थी जो नियमित रूप से पढ़ाई और स्वास्थ्यपूर्ण जीवन जीते हैं, वे सफलता की ऊंचाइयों तक पहुँच सकते हैं।


3. **उद्देश्य स्थिरता:** अनुशासन विद्यार्थियों को उनके उद्देश्यों की ओर एक मजबूत प्रतिबद्धता के साथ आग्रहित करता है। यह उन्हें हर संकट और चुनौती के बावजूद उनके लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में अग्रसर करता है।


4. **संयम और सावधानी:** अनुशासन संयम और सावधानी की प्राप्ति में मदद करता है। विद्यार्थियों को अपने विचारों और क्रियावली में संयम बनाए रखने में मदद करता है, जिससे वे अविलंब उनके लक्ष्यों की प्राप्ति कर सकते हैं।


5. **जीवन में सफलता:** 

*टेक्नोलॉजी और हिंदी साहित्य के बीच संबंध:**

 **टेक्नोलॉजी और हिंदी साहित्य के बीच संबंध:**


1. **विभिन्न संवादनाओं का वर्णन:** टेक्नोलॉजी के विकास ने संवादनाओं को नए रूपों में प्रस्तुत किया है, जैसे ईमेल, सोशल मीडिया, वॉयस चैट, आदि। यह हिंदी साहित्य में नए संवादनाओं के रूप में प्रकट हो रहे हैं।


2. **ऑनलाइन साहित्य प्लेटफ़ॉर्म:** विभिन्न वेबसाइट्स और ऐप्स ने हिंदी भाषा में साहित्य को प्रमोट किया है, जिससे लेखकों को नई उम्मीदें मिली हैं और विचारों का प्रसार हुआ है।


3. **वीडियो साहित्य:** टेक्नोलॉजी के माध्यम से वीडियो साहित्य की पॉपुलैरिटी बढ़ी है, जिससे हिंदी में वीडियो वाक्यरचना और कहानियाँ भी प्रस्तुत हो रही हैं।


4. **हिंदी लेखकों की उपस्थिति:** टेक्नोलॉजी के कारण आज हिंदी लेखक ऑनलाइन माध्यम से व्यक्तिगत विचार और काव्यरचना को जनसमर्थन प्राप्त कर सकते हैं।


5. **अच्छे साहित्य की खोज:** टेक्नोलॉजी के बढ़ते उपयोग ने साहित्यकारों को अच्छे साहित्य की खोज करने में मदद की है, जो हिंदी साहित्य को नई दिशाओं में ले जा रहे हैं।


6. **अनुवाद और भाषा साहित्य:** टेक्नोलॉजी की मदद से हिंदी साहित्य का अनुवाद और अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रसार होने में सहायक हो रही है।



छात्रों को लेखन सुधारने हेतु कुछ उपयोगी टिप्स:

 छात्रों को लेखन सुधारने हेतु कुछ उपयोगी टिप्स:


1. **प्रारंभ करें स्पष्टता से:** लेखन की शुरुआत ऐसे तय करें कि आपकी विचारधारा और मुख्य बिंदु स्पष्टता से प्रकट हों।


2. **सरल और सार्थक भाषा:** जटिल शब्दों की जगह पर सरल और समझ में आने वाले शब्दों का प्रयोग करें।


3. **संगठन और संरचना:** अपने लेख को विचारशीलता से संरचित करें। एक प्रारंभ, मध्य और निष्कर्ष को स्पष्ट ढंग से प्रस्तुत करें।


4. **विस्तार करें:** अपने विचारों को संविदानशीलता से विस्तारित करें, उदाहरण और तर्क से भरपूर करें।


5. **साहित्य स्रोतों का प्रयोग:** अधिक जानकारी के लिए साहित्य स्रोतों का प्रयोग करें, जैसे कि पुस्तकें, अनुसंधान लेख, आदि।


6. **विविध शैलियों का प्रयोग:** अपने लेख में विविध प्रकार की वाक्य रचनाएँ, पैराग्राफ, उदाहरण, चित्र, आदि का प्रयोग करके उसे रुचिकर बनाएं।


7. **संपादन और प्रूफरीडिंग:** अपने लेख को संपादित करें और त्रुटियों को सुधारें। वाक्य रचना, ग्रामर और वर्तनी का प्रूफरीडिंग करना न भूलें।


8. **स्वयं की सृजनात्मकता:** अपने लेख में अपनी सृजनात्मकता और विचारशीलता को प्रकट करने का प्रयास करें।


9. **सुनारी शुरुआत और प्रभावशाली निष्कर्ष:** आपके लेख की शुरुआत और निष्कर्ष होने चाहिए जो पाठकों का आकर्षण बढ़ाए और उन्हें आपकी विचारधारा से परिचित कराए।


10. **रिवाइज करना

आज के युग में युवाओं के लिए रक्षाबंधन का महत्व:

 आज के युग में युवाओं के लिए रक्षाबंधन का महत्व:


रक्षाबंधन एक परंपरागत भारतीय त्योहार है जिसका महत्व युगों से बढ़ता आया है। इस त्योहार का अर्थ होता है 'रक्षा का बंधन', जो बहन और भाई के प्यार और सहयोग की दिशा में महत्वपूर्ण है।


आज के तेजी से बदलते समाज में भी रक्षाबंधन का महत्व नहीं कम हुआ है। युवा पीढ़ी के लिए भी यह एक अद्वितीय मौका है जिसमें वे अपने बड़े भाई या बहन के प्रति अपनी गहरी आदर-सम्मान भावना का आदान-प्रदान कर सकते हैं।


रक्षाबंधन का यह पर्व युवाओं के लिए उनके परिवार के सदस्यों के साथ एक मजबूत जुड़ाव का प्रतीक होता है। यह एक अवसर होता है जब युवा बड़े भाई या बहन से आदर्श, मार्गदर्शन और सहायता के लिए प्रेरित होते हैं।


आधुनिक जीवनशैली में जब लोग अपने आप को अपने कामों में बिजी पाते हैं, तो रिश्तों की महत्वपूर्णता बढ़ जाती है। रक्षाबंधन एक मौका होता है जब युवा आपसी समर्थन और प्यार का अभिवादन करते हैं, जो उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।


इसके अलावा, रक्षाबंधन युवाओं को जीवन में आपसी सहयोग, समझदारी और विश्वास की महत्वपूर्णता को सिखाता है। यह दिखाता है कि रिश्तों का महत्व सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि कर्मों में भी होता है।


इस प्रकार, आज के युग में रक्षाबंधन युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण और सांस्कृतिक उत्सव के रूप में बना है, जो उन्हें समर्पित और जिम्मेदार रहने की दिशा में प्रेरित करता है।

संवाद लेखन - दोस्त के बीच**


**संवाद लेखन - दोस्त के बीच**


**राजीव:** नमस्ते आर्या, कैसे हो?


**आर्या:** हाय राजीव, मैं ठीक हूँ। तुम बताओ, कैसा चल रहा है?


**राजीव:** सब ठीक है, बस थोड़ा व्यस्त रहता हूँ।


**आर्या:** हां, मैंने सुना है कि तुम नए प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हो।


**राजीव:** हां, वाकई! यह थोड़ा चुनौतीपूर्ण है, लेकिन मजेदार भी है।


**आर्या:** वाकई, मैंने सोचा था कि तुम्हें यह काम पसंद आएगा।


**राजीव:** हाँ, तुमने सही कहा। और तुम्हारे कैसे चल रहे हैं?


**आर्या:** मेरे लिए भी सब ठीक है। मेरी तरफ से अब कुछ दिनों के लिए छुट्टियाँ आ रही हैं, तो मैं घर जाने की सोच रही हूँ।


**राजीव:** अच्छा है, यार! बस याद रखना, बस तुम्हें अवसर मिले तो हमें भी अपने साथ घर ले जाना।


**आर्या:** बिल्कुल, यार! बस तुम भी अपनी व्यस्तियों में थोड़ा वक्त निकाल के गर आ सको, तो हम एक मिलकर मजेदार समय बिता सकते हैं।


**राजीव:** पक्का, मैं कोशिश करूँगा। बस मुझे एक दिन का चुट्टा लेना होगा।


**आर्या:** ठीक है, यार! मैं तुमसे बात करके खुश हुई, अब मुझे बहुत काम है।


**राजीव:** ठीक है, यार! बाद में बात करते हैं।


---


यह संवाद लेखन दो मित्रों के बीच की बातचीत का उदाहरण प्रस्तुत करता है। आप अपने संवाद में अपने सामग्री के आधार पर विभिन्न प्रकार के संवाद लिख सकते

देशहित में विद्यार्थियों की जिम्मेदारी


देशहित में विद्यार्थियों की जिम्मेदारी

Slide 1: परिचय

- देशहित का महत्व

- विद्यार्थियों का योगदान


Slide 2: शिक्षा की महत्वपूर्णता

- शिक्षा के बिना देश की प्रगति संभव नहीं

- शिक्षा के जरिए समाज में सकारात्मक परिवर्तन


Slide 3: सामाजिक सेवा और सशक्तिकरण

- गरीबी मुक्ति और सामाजिक समरसता की दिशा में योगदान

- महिलाओं के सशक्तिकरण का समर्थन करना


Slide 4: वातावरण संरक्षण

- प्रदूषण और वातावरण की सुरक्षा के उपाय

- पेड़-पौधों की देखभाल और बचाव


Slide 5: स्वच्छता अभियान

- स्वच्छता के महत्व को समझाना

- शहरों और गाँवों में स्वच्छता की दिशा में योगदान


Slide 6: स्वयं सहायता

- खुद की पढ़ाई में समर्थन

- संस्कृति, भाषा और धरोहर की सराहना और प्रमोट करना


Slide 7: तकनीकी उन्नति में योगदान

- दिजितल भारत के अभियान का हिस्सा बनना

- तकनीकी ज्ञान और कौशल का विकास


Slide 8: नेतृत्व और सामर्थ्य

- नेतृत्व कौशल को विकसित करना

- सामूहिक दिशा-निर्देशन करने में योगदान


Slide 9: समाज में विविधता की समर्थना

- धार्मिक, भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का समर्थन करना

- एकता और बंधुत्व की महत्वपूर्णता


Slide 10: निष्कर्ष

- विद्यार्थियों का योगदान देशहित में कितना महत्वपूर्ण है

- सभी की जिम्मेदारी है देश की प्रगति में सहयोग करना



रक्षाबंधन

 रक्षाबंधन 

प्रिय सभी विद्यार्थियों और शिक्षकों को नमस्कार।

आज मैं आपके सामने रक्षा बंधन पर अपने विचार प्रस्तुत कर रहा हूँ।

रक्षा बंधन हिन्दू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो प्रेम और स्नेह के बंधन को मजबूती से जोड़ता है।


इस त्योहार का शब्द "रक्षा" और "बंधन" से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है "सुरक्षा के बंधन"।

इस दिन बहने अपने भाइयों की कलाइ पर राखी बांधती है, जिससे एक विशेष बंधन का प्रतीक होता है।

भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं और उसे प्रतिबद्धता का आशीर्वाद देते हैं।


इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य परिवार के सदस्यों के बीच प्यार और सम्मान को मजबूत करना होता है।

यह निश्चित रूप से हमें समझाता है कि परिवार का समर्थन और साथ होना कितना महत्वपूर्ण है।


इसके साथ ही, यह भी हमें सिखाता है कि महिलाएं भी सुरक्षित और सुरक्षित महसूस करने का हक़ रखती हैं।

बहने अपने भाइयों से रक्षा बंधन के माध्यम से सुरक्षा की भावना प्रकट करती हैं और भाइयों को उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी याद दिलाती हैं।


इस त्योहार के साथ ही, यह हमें एक दूसरे के प्रति सहानुभूति और समर्पण की महत्वपूर्णता को भी सिखाता है।

बहने अपने भाइयों के साथ खुशियाँ और दुखों को साझा करती हैं, और उनके साथ उनके सफलता के स्तर पर पहुँचने में सहायता करती हैं।


इस प्रकार, रक्षा बंधन हमें परिवार के महत्व को और एक दूसरे के प्रति प्यार और समर्पण की महत्वपूर्णता को समझाता है।

इस दिन का अद्भुत संदेश हमें हमेशा साथ रहने और समर्थन करने की महत्वपूर्णता को याद दिलाता है।


धन्यवाद।

सोमवार, 21 अगस्त 2023

संवाद लेखन

संवाद लेखन

संवाद – ‘वाद’ मूल शब्द में ‘सम्’ उपसर्ग लगाने से ‘संवाद’ शब्द बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘बातचीत’ है।

 इसे वार्तालाप भी कहा जाता है। 

सामान्य रूप से दो लोगों के बीच होने वाली बातचीत को संवाद कहा जाता है।

दो लोगों में हुई बातचीत को लिखना संवाद-लेखन कहलाता है।
संवाद की विशेषता-संवाद में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए –

  • स्वाभाविकता-संवाद में स्वाभाविकता होनी चाहिए। पात्रों की अपनी स्थिति, संस्कार आदि को ध्यान में रखकर बोलना चाहिए।
  • पात्रानुकूल भाषा-संवाद में भाग ले रहे छात्रों की भाषा उनकी शिक्षा आयु आदि के अनुरूप होनी चाहिए। एक शिक्षित और
    उसके साथ संवाद कर रहे अनपढ़ की भाषा में अंतर नज़र आना चाहिए।
  • प्रभावीशैली-संवाद को बोलने की शैली प्रभावशाली होनी चाहिए। सुनने वाले पर संवादों का असर होना चाहिए।
  • जटिलता से दूर-संवाद की भाषा में जटिलता नहीं होनी चाहिए। इससे सुनने वाला बात को आसानी से समझ सकता है और
    यथोचित जवाब देता है।
  • शालीनता-संवाद की भाषा में शालीनता अवश्य होनी चाहिए। इसमें अशिष्ट भाषा के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

संवाद लेखन में ध्यान देने योग्य बातें – 

संवाद-लेखन में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • संवाद की भाषा सरल तथा सहज होनी चाहिए।
  • संवाद लेखन में सरल तथा छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए।
  • भाषा सुनने वाले के मानसिक स्तर के अनुरूप होनी चाहिए।
  • संवाद लेखन में किसी एक पात्र के कथन को बहुत लंबा नहीं खींचना चाहिए।
  • भाव विचारों की पुनरुक्ति से बचना चाहिए।
  • संवाद लेखन के अंत में एक बार पढ़कर उसे दोहरा लेना चाहिए ताकि अशुद्धियों का निराकरण किया जा सके।





संवाद लेखन के उदाहरण 

प्रश्नः 1) बाढ़ आने से कई गाँव जलमग्न हो गए हैं। दो मित्र उनकी सहायता के लिए जाना चाहते हैं। उनके बीच हुए संवाद का लेखन कीजिए।




पंकज – अमर! क्या तुमने आज का अखबार पढ़ा?
  • अमर – नहीं, क्या कोई विशेष खबर छपी है?
  • पंकज – हाँ बाढ़ के कारण कई गाँव पानी में डूब रहे हैं। खेतों में पानी भरने से फसलें डूब रही हैं।
  • अमर – ऐसे में लोगों को बड़ी परेशानी हो रही होगी?
  • पंकज – लोग जैसे-तैसे अपने सामान और मवेशियों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।
  • अमर – ऐसो की मदद के लिए हमें तुरंत चलना चाहिए। वे जहाँ भी हैं, उनकी मदद करनी चाहिए।
  • पंकज – मैं अपने मित्रों के साथ कुछ कपड़े, खाने की वस्तुएँ, मोमबत्ती, माचिस आदि इकट्ठा करके आज दोपहर तक पहुँच जाना चाहता हूँ।
  • अमर – यह तो बहुत अच्छा रहेगा। मैं अपने साथियों से कहूँगा कि वे कुछ रुपये भी दान स्वरूप दें, ताकि उनके लिए पानी की बोतलें और ज़रूरी दवाइयाँ खरीदा जा सके। पंकज – तुमने बहुत अच्छा सोचा है। क्या तुम भी मेरे साथ चलोगे?
  • अमर – मैं अवश्य साथ चलूँगा और मुसीबत में फँसे लोगों की मदद करूँगा।

प्रश्नः 2) परीक्षा के एक दिन पूर्व दो मित्रों की बातचीत का संवाद लेखन कीजिए।


  • अक्षर – नमस्ते विमल, कुछ परेशान से दिखते हो?
  • विमल – नमस्ते अक्षर, कल हमारी गणित की परीक्षा है।
  • अक्षर – मैंने तो पूरा पाठ्यक्रम दोहरा लिया है, और तुमने?
  • विमल – पाठ्यक्रम तो मैंने भी दोहरा लिया है, पर कई सवाल ऐसे हैं, जो मुझे नहीं आ रहे हैं।
  • अक्षर – ऐसा क्यों?
  • विमल – जब वे सवाल समझाए गए थे, तब बीमारी के कारण मैं स्कूल नहीं जा सका था।
  • अक्षर – कोई बात नहीं चलो, मैं तुम्हें समझा देता हूँ। शायद तुम्हारी समस्या हल हो जाए।
  • विमल – पर इससे तो तुम्हारा समय बेकार जाएगा।
  • अक्षर – कैसी बातें करते हो यार, अरे! तुम्हें पढ़ाते हुए मेरा दोहराने का काम स्वतः हो जाएगा। फिर, इतने दिनों की मित्रता कब काम आएगी।
  • विमल – पर, मैं उस अध्याय के सूत्र रट नहीं पा रहा हूँ।
  • अक्षर – सूत्र रटने की चीज़ नहीं, समझने की बात है। एक बार यह तो समझो कि सूत्र बना कैसे। फिर सवाल कितना भी घुमा-फिराकर आए तुम ज़रूर हल कर लोगे।
  • विमल – तुमने तो मेरी समस्या ही सुलझा दी। चलो अब कुछ समझा भी दो।
  • (साभार संकलन)

औपचारिक पत्र का प्रारूप

  पत्र लेखन

औपचारिक पत्र

औपचारिक पत्र का प्रारूप

पत्र भेजने वाले का पता

दिनांक

पत्र जिसे भेज रहे हैं उनके लिए संबोधन (प्रिय, आदरणीय)

नमस्कार।

           पत्र का मध्य भाग (विषय का विस्तार)


धन्यवाद।


आपका मित्र

नाम 

हस्ताक्षर 

रविवार, 20 अगस्त 2023

Class X वाच्य

  

          वाच्य



वाच्य- वाच्य का अर्थ है ‘बोलने का विषय।’

क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि उसके द्वारा किए गए विधान का विषय कर्ता है, कर्म है या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं।



 

दूसरे शब्दों में क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि उसके प्रयोग का आधार कर्ता, कर्म या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं। वाच्य के भेद-हिंदी में वाच्य के तीन भेद माने जाते हैं –


1. कर्तवाच्य-

     जिस वाक्य में कर्ता की प्रमुखता होती है अर्थात क्रिया का प्रयोग कर्ता के लिंग, वचन, कारक के अनुसार होता है और इसका सीधा संबंध कर्ता से होता है तब कर्तृवाच्य होता है।




 

कर्तृवाच्य-कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य।

कर्तृवाच्य में अकर्मक और सकर्मक दोनों प्रकार की क्रिया का प्रयोग किया जाता है; जैसे –



कर्ता के अपनी सामर्थ्य या क्षमता दर्शाने के लिए सकारात्मक वाक्यों में क्रिया के साथ सक के विभिन्न रूपों का प्रयोग किया जाता है; जैसे –


मैं फ्रेंच पढ़-लिख सकता हूँ।

यह कलाकार फ़िल्मी गीतों के अलावा लोकगीत भी गा सकता है।

ऐसा सुंदर स्वेटर सुमन ही बन सकती है।

यही मज़दूर इस भारी पत्थर को हटा सकता है।

कर्तृवाच्य के वाक्यों को कर्मवाच्य और भाववाच्य में बदला जा सकता है। कर्तृवाच्य में कर्ता की असमर्थता दर्शाने के लिए क्रिया एवं नहीं के साथ सक के विभिन्न रूपों का भी प्रयोग किया जा सकता है; जैसे –


मैं चीनी भाषा नहीं लिख सकता हूँ।

यह मोटा आदमी तेज़ नहीं दौड़ सकता है।

बच्चे आज खेलने बाहर नहीं जा सकते हैं।

मोहन यह सवाल हल नहीं कर सकता है।

2. कर्मवाच्य-

जिस वाक्य में कर्म की प्रधानता होती है तथा क्रिया का प्रयोग कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होता है और कर्ता की स्थिति में स्वयं कर्म होता है, वहाँ कर्मवाच्य होता है।

जैसे –



उपर्युक्त वाक्यों में क्रिया का प्रयोग कर्ता के अनुसार न होकर इनके कर्म के अनुसार हुआ है, अतः ये कर्मवाच्य हैं।



 

अन्य उदाहरण –

मोहन के द्वारा लेख लिखा जाता है।

हलवाई द्वारा मिठाइयाँ बनाई जाती हैं।

चित्रकार द्वारा चित्र बनाया जाता है।

रूपाली द्वारा कढ़ाई की जाती है।


कर्मवाच्य-कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य


कर्मवाच्य में कर्म उपस्थित रहता है और क्रिया सकर्मक होती है।

कर्मवाच्य के वाक्यों में प्रायः क्रिया ‘जा’ का रूप लगाया जाता है; जैसे –

इस वाच्य में कर्ता के बाद से या के द्वारा का प्रयोग किया जाता है; जैसे –

तुलसीदास द्वारा रामचरितमानस की रचना की गई। (कर्ता + द्वारा)

नौकर से गिलास टूट गया। (कर्ता + से)

कभी-कभी कर्ता का लोप रहता है; जैसे –

पेड़ लगा दिए गए हैं। पत्र भेज दिया गया है।

कर्मवाच्य में असमर्थता सूचक वाक्यों में ‘के द्वारा’ के स्थान पर ‘से’ का प्रयोग किया जाता है। ऐसा केवल नकारात्मक वाक्यों में किया जाता है; जैसे –

मुझसे अंग्रेज़ी नहीं बोली जाती। मज़दूर से यह भारी पत्थर नहीं उठाया गया।

कर्मवाच्य का प्रयोग निम्नलिखित स्थानों पर भी किया जाता है –

(i) कार्यालयी या कानूनी प्रयोग में –

हेलमेट न पहनने वालों को दंडित किया जाएगा।

चालान घर भिजवा दिया जाएगा।


(ii) अशक्तता दर्शाने के लिए; जैसे –

अब दवा भी नहीं पी जाती।

अब तो रोटी भी नहीं चबाई जाती।



 

(iii) जब सरकार या सभा स्वयं कर्ता हो; जैसे –

प्रत्येक घायल को पचास हजार रुपये दिए जाएँगे।

दालों के निर्यात का फ़ैसला कर लिया गया है।



 

(iv) जब कर्ता ज्ञात न हो; जैसे –

भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है।

पत्र भेज दिया गया है।


(v) अधिकार या घमंड का भाव दर्शाने के लिए; जैसे

ऐसा खाना हमसे नहीं खाया जाता।

नौकर को बुलाया जाए।


3. भाववाच्य – 

इस वाच्य में कर्ता अथवा कर्म की नहीं बल्कि भाव अर्थात् क्रिया के अर्थ की प्रधानता होती है; जैसे –

मरीज से उठा नहीं जाता।

पहलवान से दौडा नहीं जाता।


भाववाच्य – कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य


इस वाच्य में प्रायः नकारात्मक वाक्य होते हैं।

भाववाच्य में अकर्मक क्रिया का प्रयोग होता है।

भाववाच्य में प्रयुक्त क्रिया सदा पुल्लिंग अकर्मक और एकवचन होती है।

जैसे –


चलो, अब सोया जाय।

ऐसी धूप में कैसे चला जाएगा।

विधवा से रोया भी नहीं जाता।

इस मोटे व्यक्ति से उठा नहीं जाता।

चलो घूमने चला जाए।

भाववाच्य को केवल कर्तृवाच्य में बदला जा सकता है।


वाच्य-परिवर्तन


वाच्य परिवर्तन के अंतर्गत तीनों प्रकार के वाच्यों को परस्पर परिवर्तित किया जाता है


1. कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना-

 कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाने के लिए –

(i) यदि कर्ता के बाद ‘ने’ परसर्ग लगा है तो उसे हटाकर द्वारा, से, के द्वारा लगाया जाता है।

(ii) क्रिया का प्रयोग कर्म के लिंग पुरुष और वचन के अनुसार करके ‘जा’ धातु को उचित रूप जोड़ देते हैं; जैसे –


 

2. कर्तृवाच्य से भाववाच्य में बदलना-

भाववाच्य में मुख्य रूप से निषेधात्मक वाक्य आते हैं। भाववाच्य बनाते समय ने परसर्ग हटाकर से जोड़ दिया जाता है तथा क्रिया में आवश्यक बदलाव कर दिया जाता है; जैसे –


3. कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य में बदलना –

4. भाववाच्य से कर्तृवाच्य में परिवर्तन –


अभ्यास प्रश्न


प्रश्न 1.

निम्नलिखित वाक्यों के वाच्य का नाम लिखिए


वह खाना खाकर चला गया। (2013 Comptt.)

मोहन से चला नहीं जाता। (2013 Comptt.)

आज निश्चित होकर सोया जाएगा। (Delhi 2014)

ड्राईवर बस चलाता जा रहा था।

उससे पत्र नहीं पढ़ा जाता।

रुक्मिणी से यह सामान नहीं उठाया जाता।

छात्राएँ रात-रात भर पढ़ाई करती रही।

वह रामलीला देख रहा है।

तन्वी रात भर सो न सकी।

अक्षर से एक भी गेंद नहीं फेंकी गई।



उत्तरः


कर्तृवाच्य

भाववाच्य

भाववाच्य

कर्तृवाच्य

कर्मवाच्य

कर्मवाच्य

कर्तृवाच्य

कर्तृवाच्य

भाववाच्य

कर्मवाच्य



प्रश्न 2.

निम्नलिखित वाक्यों को कर्तृवाच्य में बदलिए


दीप्ति द्वारा नहीं लिखा जाता। (Delhi 2013 Comptt.)

शोभना से पढ़ा नहीं जाता। (All India 2013 Comptt.)

श्रद्धालु काशीवासियों द्वारा इस सभा का आयोजन किया जाता है। (Delhi 2013)

समर्थकों द्वारा पुष्प वर्षा की गई। (Foreign 2014)

आपके द्वारा उनके विषय में क्या सोचा जाता है। (Delhi 2014)

उनके द्वारा कैप्टन की देशभक्ति का सम्मान किया गया। (All India 2014)

चलिए, अब सोया जाए। (All India 2014)

परीक्षा के बारे में अध्यापक द्वारा क्या कहा गया? (Delhi 2015)

चलो, आज मिलकर कहीं घूमा जाए। (Delhi 2015)

महादेवी वर्मा द्वारा ‘यामा’ लिखी गई। (Foreign 2015)

माँ से रात भर बैठा नहीं जाएगा। (Foreign 2015)

प्रेमचंद द्वारा गोदान लिखा गया। (All India 2015)

इन मच्छरों में रातभर कैसे सोया जाएगा। (All India 2015)

मुझसे सहा नहीं जाता।(All India 2015)

कथावाचक द्वारा गीता का रहस्य समझाया गया।



उत्तरः


दीप्ति नहीं लिखती है।

शोभना नहीं पढ़ती है।

श्रद्धालु काशीवासी इस सभा का आयोजन करते हैं।

समर्थकों ने पुष्पवर्षा की।

आप उनके विषय में क्या सोचते हैं।

उन्होंने कैप्टन की देशभक्ति का सम्मान किया।

चलो,अब सोते हैं।

परीक्षा के बारे में अध्यापक ने क्या कहा?

चलो आज मिलकर कहीं घूमते हैं।

महादेवी ने ‘यामा’ लिखी।

माँ रात भर बैठ नहीं सकेगी।

प्रेमचंद ने गोदान लिखा।

इन मच्छरों में रात भर कैसे सोएँगे।

मैं सह नहीं सकता।

कथावाचक ने गीता का रहस्य समझाया।


प्रश्न 3.निम्नलिखित वाक्यों को कर्मवाच्य में बदलिए।


उन्होंने दोनों भाइयों को पढ़ाया। (Delhi 2013)

रामपाल ने बड़े दुखी मन से अपना अपराध स्वीकार किया। (Foreign 2014)

उसने भगत को दुनियादारी से निवृत्त कर दिया। (Foreign 2014)

आओ, कुछ बातें करें। (Delhi 2014)

हमने उसको अच्छे संस्कार देने का प्रयास किया। (Delhi 2014)

मंत्री जी ने राहत सामग्री बँटवाई। (All India 2014)

अनेक श्रोताओं ने कविता की प्रशंसा की। (Delhi 2015)

बहन ने भाई को प्रेमपूर्वक राखी बाँधी। (Foreign 2015)

सभी दर्शकों ने नाटक की प्रशंसा की। (All India 2015)

उसने भोजन कर लिया।

सरकार ने शिक्षा का बजट दूना कर दिया है।

मंत्री जी ने मोहल्ला क्लीनिक का उद्घाटन किया।

दाल के दाम ने लोगों को रुला दिया है।

उसने नया व्यवसाय शुरू कर दिया है।

वह कालीन बुनता है।



उत्तरः


उनके द्वारा दोनों भाईयों को पढ़ाया गया।

रामपाल द्वारा अत्यंत दुखी मन से अपना अपराध स्वीकार किया गया।

उसके द्वारा भगत को दुनियादारी से मुक्त कर दिया गया।

आइए, कुछ बातें की जाएँ।

हमारे द्वारा उसको अच्छे संस्कार देने का प्रयास किया गया।

मंत्री जी द्वारा राहत सामग्री बँटवाई गई।

अनेक श्रोताओं द्वारा कविता की प्रशंसा की गई।

बहन द्वारा भाई को प्रेमपूर्वक राखी बाँधी गई।

सभी दर्शकों द्वारा नाटक की प्रशंसा की गई।

उसके द्वारा भोजन कर लिया गया।

सरकार द्वारा शिक्षा का बजट दूना बढ़ा दिया गया है।

मंत्री जी द्वारा मोहल्ला क्लीनिक का उद्घाटन किया गया।

दाल के दाम द्वारा लोगों को रुला दिया गया है।

उसके द्वारा नया व्यवसाय शुरू कर दिया गया है।

उसके द्वारा कालीन बुना जाता है।

प्रश्न 4.

निम्नलिखित वाक्यों को भाववच्य में बदलिए।


घायल होने के कारण वह उड़ नहीं पाया। (Delhi 2013)

मोहिनी क्षणभर के लिए भी शांत नहीं बैठती है। (Delhi 2013)

चलो, अब चलते हैं। (Foreign 2014)

माँ रो भी नहीं सकती। (All India 2014)

हम इतनी गरमी में नहीं रह सकते। (Delhi 2015)

वह खड़ा नहीं हो सकता। (foreign 2015)

वह अब भी बैठ नहीं सकता। (All India 2015)

पेड़ कट गए हैं।

मैं पढ़ नहीं सकता।



उत्तरः


घायल होने के कारण उससे उड़ा नहीं गया।

मोहिनी से क्षण भर भी शांत नहीं बैठा जाता है।

चलिए अब चला जाए।

माँ से रोया भी नहीं जाता।

हमसे इतनी गरमी में भी नहीं रहा जाता।

उससे खड़ा नहीं हुआ जा सकता।

उससे अब भी बैठा नहीं जाता।

पेड़ों को काट दिया गया है।

मुझसे पढ़ा नहीं जा सकता।



प्रश्न 5.निम्नलिखित वाक्यों में वाच्य परिवर्तन कीजिए – (CBSE Sample Question Paper 2016)


यह मकान दादाजी ने बनवाया है। (कर्म वाच्य)

वह दौड़ नहीं सकता। (भाव वाच्य)

अध्यापक द्वारा विद्यार्थी को पढ़ाया गया। (कर्तृ वाच्य)

राष्ट्रपति ने इस भवन का उद्घाटन किया। (कर्म वाच्य)



उत्तरः


यह मकान दादा जी के द्वारा बनवाया गया है।

उससे दौड़ा नहीं जाता।

अध्यापक ने विद्यार्थी को पढ़ाया।

राष्ट्रपति द्वारा इस भवन का उद्घाटन किया गया।

अब स्वयं करें


प्रश्न 1.निम्नलिखित वाक्यों के वाच्य भेद पहचानिए


मुझे अंग्रेज़ी नहीं पढ़ी गई।

रश्मि पत्र लिखती है।

लता मंगेशकर मधुर गीत गाती है।

बच्चे विद्यालय को साफ़-सुथरा रखेंगे।

थकान के कारण मज़दूर से उठा नहीं जाता।



प्रश्न 2.निम्नलिखित वाक्यों के वाच्य भेद पहचानिए 


मरीज से अब और नहीं सहा जाता।

शेर शिकार की तलाश में घूम रहे हैं।

उसने बच्चे को खिलौना दिया।

अध्यापक द्वारा चित्रकला सिखाई जाती है।

मच्छरों ने रात की नींद हराम कर दी।

प्रश्न 3.

निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए –


भूमिहीन लोग सरदार पटेल को याद करते हैं। (कर्मवाच्य)

गरम रेत में कैसे चला जाएगा। (कर्तृवाच्य)

बच्चे शतरंज खेलेंगे। (कर्मवाच्य)

घायल व्यक्ति अस्पताल से कैसे भागेगा। (भाववाच्य)

मैं इस समस्या का समाधान खोज रहा हूँ। (कर्मवाच्य)

रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से युद्ध किया। (कर्मवाच्य)

प्रश्न 4.

निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए –


तात्या टोपे द्वारा अंग्रेज़ों को नाको चने चबवाए गए। (कर्तृवाच्य)

इतने शोर में मैं नहीं सो सकता हूँ। (भाववाच्य)

किसने गमला तोड़ा है। (कर्मवाच्य)

छोटा-सा बच्चा मंदिर के पास भीख माँग रहा था। (कर्मवाच्य)

राणा प्रताप द्वारा घास की रोटियाँ खाईं गईं। (कर्तृवाच्य)

प्रश्न 5.

कर्मवाच्य किसे कहते हैं ? कर्मवाच्य में बदलते समय क्या-क्या बदलाव करना चाहिए?


प्रश्न 6.

भाववाच्य से आप क्या समझते हैं ? भाववाच्य की क्रिया की विशेषताएँ लिखिए।

                      

                             *संकलन


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