मंगलवार, 22 सितंबर 2020

हिन्दी की यथार्थवादी सशक्त महिला कहानीकार : राजी सेठ

हिन्दी की यथार्थवादी सशक्त महिला कहानीकार : राजी से

         हिन्दी साहित्य का इतिहास लगभग एक हजार सालों से ऊपर का है | इस इतिहास को देखने से पता चलेगा की जादातर साहित्य-सृजन का कार्य पुरुषों ने ही किया हैं | इसलिए साहित्य में उन्होने अपनी सुविधा के अनुसार हो या अपनी अनुभूति के अनुसार ही साहित्य का विषय बनाया हैं ,इसमें कही-कहीं महिला रचनाकारों का नाममात्र उल्लेख मिलता है | महिलाओं की कुछ मर्यादाओं के कारण हो या सामाजिक बंधनों के कारण हो उन्होंने बहुत कम लेखन किया हैं, जो लेखन उन्होंने किया वह भी कम नहीं है|

         आजादी के बाद स्त्री-शिक्षा, संविधान, महिला सुधार-आंदोलन तथा अन्य सामाजिक सुधारों के आंदोलनों के कारण महिलाओं में नयी चेतना निर्माण हुई | इसी के फल-स्वरूप हिन्दी में महिला लेखन या स्त्रीवादी साहित्य का जन्म हुआ | आज हिन्दी साहित्य में महिला लेखिकाओं की बाढ़ सी आई हैं| इन लेखिकाओं ने अपने लेखन के द्वारा सामाजिक बुराइयों का पर्दाफ़ाश करने का प्रयास किया हैं और आज भी वह लेखन-कार्य कर रही हैं|

     हिन्दी साहित्य में सन १९६० के बाद महिला लेखिकाओं ने अधिक मात्राओं में साहित्य-सृजन किया है| इनमें कुछ महत्व पूर्ण नाम हैं- मन्नू भण्डारी, उषा प्रियवदा, कृष्णा सोबती,मृदुला गर्ग, ममता कालिया, मंजुल भगत, मालती जोशी,मैत्रेयी पुष्पा और राजी सेठ आदि |

    राजी सेठ ने अपनी रचनाओं के द्वारा अपनी अलग पहचान बनाई है| अपनी अनुभूति को ही अपने साहित्य का आधार बनाया है इसलिए इनके साहित्य की अलग पहचान बन पाई हैं | राजी सेठ ने हिन्दी में उपन्यासों की अपेक्षा कहानियां ही अधिकतर लिखी हैं | इसी के साथ अपने अनेक अंग्रेजी रचनाओं का हिन्दी में अनुवाद किया हैं | राजी जी सिर्फ हिन्दी भाषा की ही जानकार नहीं है बल्कि वे अंग्रेजी, पंजाबी, उर्दू और गुजराथी को भी भली भाँति जानती हैं|

राजी सेठ का साहित्य :

              राजी जी ने मुख्य रूप से कहानी-साहित्य का ही अधिक मात्रा में सृजन किया हैं| जो निम्न तरह से हैं-

उपन्यास-साहित्य:
                             राजी सेठ ने दो ही उपन्यास लिखे हैं | जो तत-सम और निष्कवच इस नाम से प्रकाशित हुए हैं |

कहानी-साहित्य :

       राजी सेठ ने उपन्यास की अपेक्षा कहानी-संग्रह अधिक लिखे हैं| जो इस प्रकार हैं- अंधे मोड से आगे’,’तीसरी हथेली’,’यात्रा-मुक्त’, दूसरे देशकाल में’,’सदियों से’,’यह कहानी नहीं’,’किसका इतिहास’,’गमे हयात न मारा’,’खाली लिफाफा आदि |

अन्य रचनाएँ:  

      राजी सेठ ने उपन्यास और कहानी के अतिरिक्त समीक्षा एवं कुछ अंग्रेजी पुस्तकों का अनुवाद भी किया हैं |

यथार्थवादी कहानीकार राजी सेठ :

         विवेच्य विषय को ध्यान में रख कर यहाँ पर राजी जी के कहानी साहित्य का परिचय दिया जा रहा है | राजी सेठ ने लगभग नौं कहानी-संग्रह लिखे हैं,जिसका उल्लेख ऊपर किया गया है | राजी सेठ का पहला कहानी-संग्रह १९७९ में प्रकाशित हुआ जिसका नाम है- अंधे मोड से आगे |

  अंधे मोड से आगे :

           इस संग्रह में लेखिका ने नारी समस्याओं का चित्रण किया है | जिसमें नारी का शोषण,नारी की पीड़ा, उसकी भीतरी छटपटाहट,प्रणय भावनाओं की अभिव्यक्ति इस रचनाओं में देखने को मिलती है | जिसमें एक यात्रा’,’अमूर्त कुछ’,’पुनः वही’,’अंधे मोड से आगे आदि उल्लेखनीय कहानियाँ हैं |  

तीसरी हथेली :

    सन १९८१ में प्रकाशित राजी सेठ का यह  दूसरा कहानी संग्रह है| इस संग्रह में से किसका इतिहास,अपने दायरे,काया- प्रवेश, योग-दीक्षा,दूसरी ओर से ,नगर रसायन,एक बड़ी घटना और अनावृत कौन आदि प्रमुख कहानियाँ हैं | इस संग्रह में लेखिका ने नारी का दमन,नारी की टूटन,गरीबी की पीड़ा,महानगरों में हो रहे नारी का शोषण, बुढ़ापे की समस्या और नारी विद्रोह की अभिव्यक्ति का सटीक वर्णन किया है |

यात्रा-मुक्त:

     यह राजी सेठ का सन १९८७ में प्रकाशित सात कहानियों का संग्रह है | इस संग्रह की आमने-सामने, खेल,यात्रा-मुक्त,तुम भी,उसकी जंगल में, ढलान पर आदि कहानियों में राजी सेठ ने कुछ अनोखे विषयों का चित्रण किया है,जिसका अभी तक चित्रण नहीं हो पाया था| जैसे-सौत के प्रति करुणा, पति के विकलांगता से बेबस नारी,नौकरों की समस्या बेईमानी मनुष्य के बीच नैतिक मूल्यों के प्रति आदर भाव आदि विषयों का दर्शन इस संग्रह की कहानियों में होता हैं|

दूसरे देशकाल में:

          राजी सेठ का सन १९९२ में प्रकाशित ग्यारह कहानियों का चौथा का कहानी-संग्रह है | जिसमें में- गलियारे,सदियों से, किस्सा बाबू बृजेश्वर जी का, तदुपरान्त,

विकल्प, स्त्री, घोड़ों से गधे, अभी तो, लेखक गृह में लेखक, कब तक,और दूसरे देशकाल में कहानियाँ संकलित हैं | इन कहानियों के द्वारा लेखिका ने एक पत्नी की मजबूरी,मानवीय संघर्ष,नौकरी चली जाने पर मनुष्य की होनेवाली मानसिक स्थिति, लोगों का समाज सेवा के पीछे छुपे स्वार्थ, नौकरों पर होने वाले अत्याचार,भाषा और बच्चे के कारण दांपत्य जीवन की स्थिति आदि विषयों की ओर पाठकों का ध्यान आकर्षित किया

  है | सदियों से यह सन १९९६ में प्रकाशित लेखिका का पाचवाँ कहानी संकलन है| जिसमें अन्य कहानी-संग्रहों में से चुनी हुई कहानियाँ है|

यह कहानी नहीं:

         यह राजी सेठ का सन १९९८ में प्रसिद्ध छठा कहानी संग्रह है| जिसमें पुल,बाहरी लोग,परतें,आगत,मैं तो जन्मा ही,अकारण तो नहीं,पासा,बूत,इन दिनों,यह कहानी नहीं कहानियाँ संकलित है| इन कहानियों में लेखिका ने बेटे के मृत्यु का दुख,देश विभाजन की समस्या,अपाहिज लोगों की मानसिकता,पुरुषों की मनोदशा,अस्वस्थ पारिवारिक जीवन,सरकारी नौकरी पर व्यंग्य, शिक्षित लोगों की मानसिकता और बुढ़ापे की समस्या आदि का यथार्थ चित्रण किया गया है |

 किसका इतिहास:
                            यह सन २००२ में प्रकाशित राजी जी का सातवाँ कहानी-संग्रह है | इस संग्रह में बीस कहानियों को संकलित किया गया है| जिसमें हमारे सामाजिक और पारिवारिक परिवेश में आ रहे परिवर्तन,युद्ध की भयावहता,बँटवारे की समस्या आदि के साथ हमारी रक्षा के लिए शहीद होने वालों के प्रति हमारी कैसी भावना होनी चाहिए और पिता-पुत्र के में वैचारिक टकराव आदि का यथार्थवादी ढंग से मार्मिक चित्रण लेखिका ने किया है जो हमारे दिल को छु जाते हैं | इसके अतिरिक्त गमे ह्यात न मारा, खाली लिफाफा आदि उनके प्रमुख कहानी संग्रह हैं |

 समापन:

    राजी सेठ के समग्र कहानी साहित्य का अध्ययन करने के पहचात कुलमिलाकर यह कहा जा सकता है की राजी जी एक संस्कार सम्पन्न,वास्तविक स्थिति का ध्यान रखने वाली प्रमुख यथार्थवादी महिला कहानीकार है| अपने महिलाओं की समस्या के साथ-साथ अन्य सामाजिक समस्यों का यथार्थरूप से चित्रण किया है| अपने जीवन में घटित और हमारे आसपास घटनेवाली घटनाओं का वास्तववादी चित्र प्रस्तुत किया है| इसलिए कहा जा सकता है कि राजी सेठ हिन्दी कहानी साहित्य कि एक यथार्थवादी सशक्त महिला कहानीकार है’|    

संदर्भ-सूची:

१) अंधे मोड से आगे,कहानी-संग्रह- राजी सेठ

२) तीसरी हथेली, कहानी-संग्रह- राजी सेठ

   ३) यात्रा-मुक्त, कहानी-संग्रह- राजी सेठ

   ४) दूसरे देशकाल में  , कहानी-संग्रह- राजी सेठ

   ५) यह कहानी नहीं , कहानी-संग्रह- राजी सेठ

   ६) किसका इतिहास , कहानी-संग्रह- राजी सेठ

४) हिन्दी साहित्य का इतिहास- डॉ. नगेंद्र

५) राजी सेठ की कहानियाँ- डॉ.वेदप्रकाश अमिताभ

६) हिन्दी साहित्य का इतिहास- डॉ.माधव सोनटक्के |

                             

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