काव्यांश पर प्रश्न
क्षितिज पृष्ठ 97
2. खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं,
न खाकर बनेगा अहंकारी।
सम खा तभी होगा समभावी,
खुलेगी साकल बंद द्वार की।
1. बंद द्वार से क्या आशय है?
2. समभावी किसे कहते हैं?
3. कवयित्री क्या प्रेरणा देना चाहती है?
4.बंद द्वार से क्या आशय है?
5. कौन सी भावना ईश्वर प्राप्ति में बाधक है?
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