निम्नलिखित काव्यांशों में निहित रस बताइए।
1. तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेम प्रताप
साज मिले 15 मिनट, घंटा भर आलाप।
घंटा भर आलाप , राग में मारा गोता,
धीरे-धीरे खिसक चुके थे, सारे श्रोता।।
2. अपनी तोतली भाषा में वह सिसक सिसककर बोली,
जलती थी भूख तृषा की उसके अंतर की होली।
हा! सही न जाती मुझसे,अब आज भूख की ज्वाला,
कल से ही प्यास लगी है ,हो रहा हृदय मतवाला।।
3. भोजन करत बोल जब राजा
नहिं आवत तजि बाल-समाजा ।।कौशल्या जब बोलन जाई।
ठुमुक-ठुमुक प्रभु चलहिं पराई।।
4. किसी वजह से आपके, पिचक गए होंं गाल
बर्र ततैया छोड़ दो,फूल जाएँँ तत्काल।।
5. अखिल भवन चर अचर सब,
हरि मुख में लखि मातु।
चकित भई गदगद वचन,
विकसित दृग पुलकातु।।
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