"सच्ची मित्रता"
बहुत समय पहले की बात है, गाँव में दो बचपन के दोस्त राजू और मोहन रहते थे। वे हमेशा साथ खेलते, पढ़ाई करते, और मिलकर हर मुश्किल को पार करते थे।
एक दिन, गाँव में एक महोत्सव आया, जिसमें एक दौड़ का प्रतियोगिता भी था। दोनों दोस्त इस प्रतियोगिता में भाग लेने का फैसला करते हैं।
प्रतियोगिता के दिन, दोनों कड़ी मेहनत और लगन के साथ दौड़ की शुरुआत करते हैं। दौड़ के बीच में, राजू को एक अच्छादित बुद्धिमान खिलाड़ी ने पीछे छोड़ दिया। राजू कांपते हुए थे, लेकिन वह नहीं हारना चाहते थे।
तभी मोहन ने अपने दोस्त को प्रेरित किया और कहा, "राजू, हमारी सच्ची मित्रता के लिए हमें आपसी समर्थन और आपसी भरोसा दिखाना होगा। हम साथ मिलकर यह दौड़ जीत सकते हैं।"
राजू ने मोहन के शब्दों पर विश्वास किया और उन्होंने साथ मिलकर एक साथ दौड़ की जीत हासिल की।
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि सच्ची मित्रता हमारी जीवन में कितनी महत्त्वपूर्ण होती है। साथ मिलकर, हम हर मुश्किल को पार कर सकते हैं और सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
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