फूल और कांटा के बीच संवाद
(एक सुंदर बाग़ में फूल और कांटा आपस में बातें कर रहे हैं।)
फूल: नमस्ते कांटे भैया! आज तो मौसम कितना सुहावना है, हर कोई मेरी खुशबू से खुश है।
कांटा: नमस्ते फूल बहन। हाँ, तुम्हारी सुंदरता और सुगंध सचमुच सबको लुभाती है। लोग तुम्हें देखकर मुस्कुरा उठते हैं।
फूल: लेकिन भैया, तुम्हारा चेहरा तो हमेशा ग़ुस्से में लगता है। लोग तुमसे दूर भागते हैं।
कांटा: हाँ बहन, मैं सुंदर नहीं हूँ, पर मेरा भी अपना एक महत्व है। मैं तुझे और इस पौधे को खतरे से बचाता हूँ। अगर मैं न होता, तो शायद कोई तुम्हें तोड़ ले जाता।
फूल: यह तो सच है। मैं तो नाजुक हूँ, ज़रा सी चोट भी सह नहीं पाती। तुम मेरी रक्षा करते हो, इसके लिए मैं तुम्हारी आभारी हूँ।
कांटा: और मैं भी गर्व से कहता हूँ कि मैं उस फूल की रक्षा करता हूँ, जिसे सब पसंद करते हैं। हर किसी का जीवन में कोई न कोई उद्देश्य होता है।
फूल: कितनी सुंदर बात कही तुमने, भैया! हम दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं।
कांटा: बिल्कुल बहन! सुंदरता और सुरक्षा का संगम ही इस पौधे को पूर्ण बनाता है।
(दोनों मुस्कुरा उठते हैं और हवाओं में उनकी दोस्ती की खुशबू फैल जाती है।)
सीख: हर किसी का जीवन में महत्व होता है, चाहे वह सुंदर हो या कठोर।
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