विद्यालय छात्र-छात्राओं के लिए उचित सिस्टम
(250 शब्दों में प्रेरक लेख)
विद्यालय का जीवन अनुशासन, सीखने और व्यक्तित्व निर्माण का श्रेष्ठ काल होता है। इस समय यदि छात्र-छात्राएं एक "उचित सिस्टम" बना लें, तो उनका शैक्षिक, मानसिक और नैतिक विकास निश्चित हो जाता है।
“जहाँ नियम हैं, वहाँ प्रगति है,
जहाँ लय है, वहाँ सफलता है।”
उचित सिस्टम का अर्थ है – एक ऐसी दिनचर्या और अध्ययन पद्धति, जिसमें पढ़ाई, खेल, विश्राम, और आत्ममूल्यांकन सभी का संतुलन हो। उदाहरण के लिए, प्रातः एक निश्चित समय पर उठना, स्कूल समय पर पहुँचना, हर विषय को देने का निश्चित समय बनाना, और मोबाइल या टीवी का सीमित उपयोग करना, ये सब सिस्टम के भाग हैं।
छात्रों को चाहिए कि वे अपना एक टाइमटेबल बनाएं, जिसमें होमवर्क, रिवीजन, और आत्म-अध्ययन का स्थान हो। परीक्षा से पहले ही नहीं, प्रतिदिन थोड़ी-थोड़ी पढ़ाई करना अधिक फलदायी होता है।
“छोटे-छोटे कदम, बड़े लक्ष्य की ओर
हर दिन की आदतें बनाएं हमें गौर।”
इसके अलावा, पर्याप्त नींद, पौष्टिक आहार, और ध्यान या योग को दिनचर्या में शामिल करना मानसिक शांति और ऊर्जा का स्रोत बनता है।
इस प्रकार यदि छात्र-छात्राएं एक सरल परंतु नियमित सिस्टम अपनाते हैं, तो उन्हें बार-बार प्रेरणा ढूंढने की आवश्यकता नहीं होगी। उनका आत्मविश्वास और परिणाम दोनों बेहतर होंगे।
“सिस्टम नहीं, तो संघर्ष है –
सिस्टम है, तो सफ़लता निश्चित है।”
बिल्कुल सही बात है 🙏🙏
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