गुरु पूर्णिमा पर अनुच्छेद (150-200 शब्दों में)
गुरु पूर्णिमा भारत का एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है, जो गुरु के प्रति श्रद्धा, सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। यह पर्व आषाढ़ मास की पूर्णिमा को आता है। इस दिन वेद व्यास जी का जन्म हुआ था, जिन्होंने वेदों का संकलन और महाभारत की रचना की। इसलिए इस दिन को "व्यास पूर्णिमा" भी कहा जाता है।
भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान माता-पिता से भी ऊँचा माना गया है। "गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरः" यह श्लोक गुरु के महत्व को दर्शाता है। गुरु केवल शैक्षणिक ज्ञान ही नहीं देते, बल्कि जीवन के मूल्य, आचरण और आत्मज्ञान की राह भी दिखाते हैं।
इस दिन विद्यालयों, आश्रमों और मंदिरों में विशेष कार्यक्रम होते हैं। शिष्य अपने गुरुओं का आशीर्वाद लेते हैं और उन्हें उपहार, पुष्प आदि अर्पित करते हैं। यह पर्व हमें यह स्मरण कराता है कि सच्चा ज्ञान ही व्यक्ति को अज्ञानता से मुक्त कर सकता है, और इसके लिए गुरु का मार्गदर्शन अत्यंत आवश्यक है।
गुरु पूर्णिमा न केवल एक पर्व है, बल्कि यह जीवन में गुरु के महत्व को समझने और उनके प्रति आभार प्रकट करने का एक पावन अवसर है।
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