सोमवार, 7 अक्टूबर 2024

विजयादशमी (दशहरा) की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।मेरा प्रिय त्योहार दशहरा

 मेरा प्रिय त्योहार दशहरा 


दशहरा, जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है, भारत के सबसे महत्वपूर्ण और प्रिय त्योहारों में से एक है। यह त्योहार अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है और हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व है। दशहरे का पर्व हर वर्ष अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से भगवान राम की रावण पर विजय और देवी दुर्गा की महिषासुर पर जीत का उत्सव मनाने के रूप में जाना जाता है।


दशहरा का पर्व एकता, भाईचारे और धर्म की रक्षा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। भारत में इसे विविध रूपों में मनाया जाता है। उत्तर भारत में मुख्य रूप से यह त्योहार भगवान राम और रावण के बीच हुए युद्ध की याद में मनाया जाता है, जिसे रामलीला के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। रामलीला में भगवान राम के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं का नाटकीय प्रदर्शन होता है, और इसका समापन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के विशाल पुतलों के दहन के साथ होता है। यह प्रतीकात्मक रूप से बुराई के अंत और सत्य की जीत को दर्शाता है।


पश्चिम बंगाल, असम, और ओडिशा जैसे पूर्वी राज्यों में दशहरा देवी दुर्गा के सम्मान में मनाया जाता है। यहां इसे दुर्गा पूजा के रूप में मनाते हैं, जिसमें माँ दुर्गा की विशाल मूर्तियों की पूजा की जाती है और उनके महिषासुर पर विजय का उत्सव मनाया जाता है। माँ दुर्गा की आराधना, भक्ति और उनके प्रति श्रद्धा से भरे इस पर्व में लोग एकजुट होकर देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।


दशहरे का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी बहुत महत्वपूर्ण है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि जीवन में चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति हमेशा विजयी होता है। भगवान राम की कथा हमें यह शिक्षा देती है कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए कभी भी बुराई से समझौता नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार, देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय यह दर्शाती है कि स्त्रियों में भी असीम शक्ति होती है और वे समाज की बुराइयों का सामना करने में सक्षम हैं।


दशहरा हमें यह प्रेरणा भी देता है कि हमें अपने अंदर की बुराइयों को भी समाप्त करना चाहिए। जैसे रावण के दस सिर उसके दस अवगुणों का प्रतीक थे—अहंकार, क्रोध, मोह, लोभ, ईर्ष्या, और अन्य अवगुण—उसी प्रकार हमें भी अपने भीतर के इन दोषों को त्याग कर जीवन में सद्गुणों को अपनाना चाहिए।


दशहरे के अवसर पर लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं और मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं। बच्चों के लिए यह एक विशेष अवसर होता है, क्योंकि वे रामलीला और रावण दहन में बहुत उत्साह से भाग लेते हैं। इस दिन लोग नए वस्त्र पहनते हैं और अपने घरों में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। कुछ स्थानों पर लोग शस्त्रों की पूजा भी करते हैं, जो वीरता और साहस का प्रतीक है।



अतः, दशहरा न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि यह समाज में नैतिकता, सत्य और न्याय की स्थापना का प्रतीक भी है। यह त्योहार हमें जीवन में सकारात्मकता बनाए रखने, बुराइयों से लड़ने और हमेशा सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

सभी को (दशहरे) विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं।


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