बुधवार, 23 सितंबर 2020

मधुर वाणी

 मधुर वाणी


किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए व्यक्ति के व्यक्तित्व की निर्णायक भूमिका होती है और व्यक्तित्व विकास के लिए भाषा का बहुत महत्त्व होता है, परन्तु इसके साथ-साथ वाणी की मधुरता भी उतनी ही आवश्यक है।


बड़ो से हमेशा सुनते आएं हैं कि वह वाणी ही हैं जिससे मनुष्य के स्वाभाव का अंदाज़ा होता है। ईश्वर ने हमें धरती पर प्रेम फ़ैलाने के लिए भेजा है, और यही हर धर्म का सन्देश हैं। प्रेम की तो अजीब ही लीला है, प्रभु के अनुसार तो स्नेह बाँटने से प्रेम बढ़ता है...

मधुर वाणी मनोनुकूल होती है जो कानों में पड़ने पर चित्त द्रवित हो उठता है। वाणी की मधुरता ह्रदय-द्वार खोलने की कुंजी है। एक ही बात को हम कटु शब्दों में कहते हैं और उसी को हम मधुर बना सकते हैं। वार्तालाप की शिष्टता मनुष्य को आदर का पात्र बनाती है और समाज में उसकी सफलता के लिए रास्ता साफ़ कर देती है।

वाणी मनुष्य को ईश्वर की अनुपम देन है। मनुष्य का भाषा पर विशेष अधिकार है। भाषा के कारण ही मनुष्य इतनी उन्नति कर सका है। हमारी वाणी में मधुरता का जितना अधिक अंश होगा हम उतने ही दूसरों के प्रिय बन सकते हैं। हमारी बोली में माधुर्य के साथ-साथ शिष्टता भी होनी चाहिए।


मधुर वाणी मनोनुकूल होती है जो कानों में पड़ने पर चित्त द्रवित हो उठता है। वाणी की मधुरता ह्रदय-द्वार खोलने की कुंजी है। एक ही बात को हम कटु शब्दों में कहते हैं और उसी को हम मधुर बना सकते हैं। वार्तालाप की शिष्टता मनुष्य को आदर का पात्र बनमीठी वाणी बोलने के कारण आप खुद भी काफी शांत रहते हैं यह आपके दिल और दिमागी हालत के लिए बहुत ही अच्छा होता है । मिहि वाणों के कारण गुस्सा कम आता है और यदि आपके सामने वाले व्यक्ति को भी आ रहा है तो मीठी वाणी उसको भी शांत कर देता है । मीठी वाणी के कारण संबंध हमेशा अच्छे बने रहते हैं घर परिवार दोस्त कभी नही टूटते ।

हमारी वाणी ही हमारी शिक्षा-दीक्षा, कुल की परंपरा और मर्यादा का परिचय देती है। इसलिए हमें वार्तालाप में व्यापारिक बातचीत एवं निजी बातचीत में थोडा अंतर रखना चाहिए। वाणी किसी भी स्थिति में कटु एवं अशिष्ट नहीं होनी चाहिए।

मीठी वाणी बोलने के कारण आप खुद भी काफी शांत रहते हैं यह आपके दिल और दिमागी के लिए बहुत ही अच्छा होता है ।वाणी किसी भी स्थिति में कटु एवं अशिष्ट नहीं होनी चाहिए।मधुर वाणी मनोनुकूल होती है जो कानों में पड़ने पर चित्त द्रवित हो उठता है। वाणी की मधुरता ह्रदय-द्वार खोलने की कुंजी है।

कबीर के इस दोहे से मधुर वाणी का बोलने का महत्व और संदेश मिलता है। मधुर वाणी एक सम्मोहन के समान है जिसके द्वारा हम किसी को भी मोहित कर सकते हैं और उससे अपना मनचाहा कार्य करा सकते हैं। मधुर वाणी एक हथियार के समान है जिसके माध्यम से किसी पर भी विजय पाई जा सकती है, किसी के भी मन को जीता जा सकता है। मधुर वाणी एक सद्गुण है इसको धारण करने वाले को सब पसंद करते हैं।

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