शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

अपठित गद्यांश पर प्रश्न 2

 अपठित गद्यांश पर प्रश्न

निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।

जो लोग अपनी असफलताओं के लिए क्या जीवन में गतिरोध के लिए हालातों को जिम्मेदार ठहराते हैं,वे या तो गलती करते हैं या हालात से डरते हैं। वे या तो जीवन को समझ नहीं पाए या उलझनों में फंसे हैं । वह या तो आलसी है या अकर्मण्य है। एक कारण और भी हो सकता है कि उनकी नीयत और नीति में मेल ना हो। यह अति आवश्यक है की नीयत और नीति दोनों एक सूत्र में पिरोए हुई हो अर्थात मेल खाती हो। ऐसा कदापि संभव नहीं है कि दोनों में अंतर आने पर व्यक्ति सफलता प्राप्त कर सके। नीति एक पथ है, जिस पर चलकर वह अपने किसी प्रयोजन को पूर्ण करता है, जबकि नियत मानसिक इच्छा है, जो खोटी भी हो सकती है और खरी भी ? खोटी नियत वाला व्यक्ति कदापि संसार में नहीं टिक सकता । यदि टिकेगा तो केवल तब तक जब तक उसकी नियत खुलकर सामने नहीं आती क्योंकि नीति की जननी नियत है और जब जननी में ही दोष है तो संतान में कोई ना कोई विकृति अवश्य आ जाएगी। ऐसे में मनुष्य का पतन आवश्यक अवश्यंभावी है । असफलता के लिए हालातों को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं लगता क्योंकि हालात तो उनके साथ भी लगभग वही होते हैं जो सफलता प्राप्त करते है। यदि कोई व्यक्ति अपनी असफलता की भी जिम्मेदारी स्वयं नहीं ले सकता तो आपने सफलता की भी जिम्मेदारी लेने में के काबिल नहीं है जीवन का असली आनंद तो तभी है जब परिस्थितियां विषम हो।

प्रश्न

1. नीति और नियत को परिभाषित कीजिए।

2. किस तरह के लोगों की नीयत और नीति में मेल नहीं होता?

3. हालातों को  असफलता के लिए जिम्मेदार न ठहराने के लिए प्रस्तुत गद्यांश में क्या सीख दी गई है?

4. आपकी राय में जीवन का असली आनंद कब है?

5. मनुष्य का पतन कब अवश्यंभावी हो जाता है?

6. गद्यांश के लिए उचित शीर्षक दीजिए।

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