नारी ईश्वर का चमत्कार
माननीय प्राचार्य, आदरणीय उपप्राचार्या, शिक्षक गण, आज मैं महिला दिवस के बारें में कुछ शब्द कहना चाहूँगा। सबसे पहले यहाँ उपस्थित सभी महिलाओं को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान की प्रसंशा करते हुए 8 मार्च को हर साल महिला दिवस मनाया जाता हैं। विश्व भर में मनाये जाने वाले इस दिन का महत्व साल दर साल बढ़ता जा रहा हैं।
आज की महिलाएं आत्म-निर्भर हैं और समाज और देश के विकास के लिए बड़ा योगदान दे रही हैं और वे हमेशा ऐसा करती रही हैं। हर महिला समान रूप से महत्वपूर्ण हैं, चाहे वो कामकाजी महिला हो या अपने परिवार और बच्चों की देखभाल करने वाली महिला हो।
लेकिन यह एक कड़वी सच्चाई है की उनके बड़े योगदान को स्वीकार करने के बाद भी महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले मध्यम स्थान दिया जाता हैं।
महिला सशक्तिकरण आज भी आवश्यक है क्योंकि गाँवों में आज भी लड़कियों को शिक्षा नहीं मिलती हैं। कम उम्र में ही उनकी शादी कर दी जाती हैं और कन्या भ्रूण हत्या जैसी समस्याएं आज भी मौजूद हैं।
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, इंदिरा गाँधी, प्रतिभा पाटिल, लता मंगेशकर, मदर टरेसा, अरुणिमा सिन्हा जैसी अनेक महिलाओं ने दिखा दिया हैं की महिलाएं कमजोर नहीं हैं पर आज भी बहुत सी महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता केवल इसलिए की वह एक महिला हैं।
आइए हम सभी इस विशेष दिन के लिए केवल महिलाओं के सम्मान और प्रशंसा को सीमित न करें क्योंकि हर दिन मानवता का उत्सव है जहां महिलाएं एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। महिलाएं इंसानियत का केंद्रबिंदु हैं। आओ हम इंसानियत जिंदा करें महिलाओं का सम्मान करें।
नारी जीवन पर कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत करना चाहता हूँ-
नारी ईश्वर का चमत्कार
नारी सरस्वती का रूप हो तुम
नारी लक्ष्मी का स्वरुप हो तुम
बढ़ जाये जब अत्याचारी
नारी दुर्गा-काली का रूप हो तुम।
नारी खुशियों का संसार हो तुम
नारी प्रेम का आगार हो तुम
जो घर आँगन को रोशन करती
नारी सूरज की सुनहरी किरण हो तुम।
नारी ममता का सम्मान हो तुम
नारी संस्कारों की जान हो तुम
स्नेह, प्यार और त्याग की
नारी इकलौती पहचान हो तुम।
नारी कभी कोमल फूल गुलाब हो तुम
नारी कभी शक्ति के अवतार हो तुम
तेरे रूप अनेक
नारी ईश्वर का चमत्कार हो तुम।
इसी के साथ मैं अपने विचार समाप्त करता हूँ।
धन्यवाद।
(संकलित भाषण)
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