सूरज की किरनों से जगमगाती हिंदी,
अपनी ध्वजा लहराती, गर्व से हिन्दी।
शब्दों का सौंदर्य, वाक्यों की मधुरता,
हिंदी कविता की श्रेष्ठता, है यह सत्यता।
विचारों का समंग्रह, भावनाओं का समुंदर,
हिंदी कविता की गहराईयों में छुपा सौंदर्य असीम प्राकृतिक है यह निहित है उसके व्यक्तिगत अभिव्यक्ति में।
जब तक है हिंदी का प्रेम, जब तक है हमारी सांस,
हम बनेंगे हिंदी के प्रेमिक, बनेंगे हमारे वतन के मानस।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें