प्रकृति प्रेमी कवि सुमित्रानंदन पंत
सुमित्रानंदन पंत, हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि में से एक थे, जो की प्रकृति प्रेमी साहित्य के अद्वितीय प्रतिष्ठान में रहे हैं। उनका जन्म 20 मई 1900 को अल्मोड़ा, उत्तराखंड में हुआ था। उन्होंने अपने कविताओं में हिमालय और प्राकृतिक सौंदर्य को महत्वपूर्ण रूप से दिखाया और उनका काव्य निरला प्रेम प्रकृति के प्रति उनकी गहरी भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है।
सुमित्रानंदन पंत ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण काव्य और गद्य रचनाओं का सृजन किया, जिनमें 'चिदम्बरम', 'गरीब का दीवाल', 'गौरी', 'युगवीर', 'खिलाड़ी', 'स्वर्गसेखर', और 'ग्राम्य युग' शामिल हैं। उनकी कविताओं में प्राकृतिक दृश्य, वन्यजीव, और पर्वतीय बीउ प्रकृति के सौंदर्य का वर्णन अद्वितीय होता है।
सुमित्रानंदन पंत का कविता जीवन और प्रकृति के रूपों के साथ गहरे आत्मा के साथ जुड़ा होता है, जिससे उनके काव्य को एक अद्वितीय भावनात्मक आयाम मिलता है। उन्होंने हिमालय को अपनी दिव्यता का प्रतीक माना और उसके नीचे के जीवन के साथ अपना साहित्य जीवन जिन्दगी भर समर्पित किया।
सुमित्रानंदन पंत का काव्य हिंदी साहित्य के अनमोल धरोहर में से एक है और उन्होंने प्रकृति के सौंदर्य को उनकी कविताओं के माध्यम से लोगों के सामने प्रस्तुत किया। उनका योगदान हिंदी साहित्य के प्रकृति प्रेमी पर्व को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण था और वे आज भी हमारे दिलों में बसे हुए हैं।
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