कोजागिरी पूर्णिमा का महत्व
कोजागिरी पूर्णिमा, जिसे शरद पूर्णिमा भी कहा जाता है, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह आश्विन माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है और विशेष रूप से चंद्रमा की रोशनी का महत्त्व दर्शाती है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ आकाश में विराजमान होता है और उसकी किरणों से अमृत की वर्षा होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस रात में चंद्रमा की रोशनी में रखे गए दूध और खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
कोजागिरी पूर्णिमा को देवी लक्ष्मी की पूजा का भी विशेष महत्व है। इस दिन श्रद्धालु रात भर जागरण करते हैं और यह मान्यता है कि देवी लक्ष्मी घर-घर घूमकर यह देखती हैं कि कौन जाग रहा है और उसे धन-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। 'कोजागिरी' का अर्थ भी "कौन जाग रहा है" से है। इस दिन को आध्यात्मिक, स्वास्थ्य और आर्थिक दृष्टिकोण से शुभ माना जाता है। लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर इस पर्व का आनंद लेते हैं और खीर तथा अन्य मिठाइयों का भोग लगाते हैं। thus, कोजागिरी पूर्णिमा भारतीय संस्कृति में धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से एक विशेष स्थान रखती है।
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