मंगलवार, 4 फ़रवरी 2025

संवाद लेखन

 

बाज और साँप का संवाद

बाज: अरे साँप! तुम हमेशा ज़मीन पर ही क्यों रहते हो? उड़ने का आनंद लो!

साँप: मुझे ज़मीन पर रहना पसंद है, यह मेरी प्रकृति है।

बाज: लेकिन ऊँचाई से दुनिया देखने का अलग ही मज़ा है!

साँप: और ज़मीन से जुड़े रहने का भी अपना महत्व है।

बाज: शायद सही कह रहे हो, हर किसी की दुनिया अलग होती है।

साँप: हाँ, और हमें अपनी विशेषताओं को स्वीकार कर आगे बढ़ना चाहिए।

(दोनों अपने रास्ते चले जाते हैं, अपनी-अपनी सोच के साथ।)

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