कहानी: बबलू की ईमानदारी की टोकरी
बबलू एक छोटा सा प्यारा लड़का था, जो हर दिन अपने पिताजी के साथ सब्ज़ी मंडी में मदद करता था। उसके पास एक पुरानी टोकरी थी, जिसमें वह सब्ज़ियाँ ग्राहकों को देता था। बबलू बहुत ईमानदार और मेहनती था, इसलिए सब लोग उसे पसंद करते थे।
एक दिन एक बूढ़े दादाजी ने उससे सब्ज़ी ली और गलती से उसे 500 रुपये का नोट दे दिया, जबकि सब्ज़ी की कीमत सिर्फ 50 रुपये थी। दादाजी जल्दी में चले गए और बबलू ने नोट देखा। उसके मन में थोड़ी देर के लिए लालच आया, लेकिन फिर उसने टोकरी में नोट को अलग रखा और सोच लिया – “ईमानदारी सबसे बड़ी दौलत है।”
थोड़ी देर में दादाजी घबराते हुए वापस आए और बोले, “बेटा, मेरा बाकी पैसा तो रह गया।”
बबलू ने मुस्कराते हुए वह 450 रुपये लौटा दिए। दादाजी की आँखों में आँसू आ गए और उन्होंने बबलू को आशीर्वाद देते हुए कहा, “तू तो सच में बहुत नेक और सच्चा बच्चा है।”
इस घटना के बाद बबलू की ईमानदारी की चर्चा पूरे बाजार में फैल गई। लोग उससे और भी ज्यादा सब्ज़ियाँ खरीदने लगे।
सीख:
बबलू की कहानी हमें सिखाती है कि सच्चाई और ईमानदारी हमेशा जीतती है। चाहे हालात जैसे भी हों, अगर दिल साफ़ हो, तो लोग भी आपका सम्मान करते हैं।
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