बुधवार, 18 जून 2025

कहानी: "गुड्डू और योग का जादू"

 

कहानी: "गुड्डू और योग का जादू"

गुड्डू एक 12 साल का लड़का था, जो शहर के एक स्कूल में पढ़ता था। वह दिनभर मोबाइल पर गेम खेलता, देर रात तक जागता और सुबह देर से उठता। उसकी यह आदतें धीरे-धीरे उसकी सेहत पर असर डालने लगीं। वह जल्दी थक जाता, पढ़ाई में मन नहीं लगता और हमेशा चिड़चिड़ा रहता।

एक दिन स्कूल में एक योग शिविर लगा। गुड्डू ने अनमने मन से उसमें भाग लिया। वहाँ योगाचार्य ने उसे बताया कि योग सिर्फ शरीर को नहीं, मन को भी मजबूत बनाता है। उन्होंने बताया कि रोज़ाना योग करने से एकाग्रता, आत्मविश्वास और ऊर्जा बढ़ती है।

गुड्डू ने ठान लिया कि वह हर दिन सुबह आधे घंटे योग करेगा। शुरुआत में कठिनाई हुई, लेकिन धीरे-धीरे उसे फर्क महसूस होने लगा। उसकी नींद सुधर गई, पढ़ाई में मन लगने लगा और वह पहले से ज्यादा खुश और शांत महसूस करने लगा।

अब वह न केवल खुद योग करता है, बल्कि अपने दोस्तों को भी इसके लिए प्रेरित करता है। स्कूल में उसने “योग क्लब” भी शुरू किया जहाँ बच्चे मिलकर योगाभ्यास करते हैं।

गुड्डू की कहानी हमें यह सिखाती है कि योग केवल एक व्यायाम नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक कला है। यह तन, मन और आत्मा – तीनों को संतुलित करता है। योग अपनाकर हम न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हैं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी मज़बूत बनते हैं।

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